Show Mobile Navigation

Random Post

Featured Post 8

Entertainment News

Friends Link

Tuesday 9 October 2012

अब हिंदी यू-ट्यूब के वीडियो अपने लेख में जोड़ना सीखें ?

Archana Singh 2paltak - 00:30
आपने देखा होगा कि कई ब्लॉगर अपने ब्लॉग पर You-Tube के वीडियो लगाए रहते हैं, अब वही वीडियो आप भी अपने लेख में लगा सकते हैं.
You-Tube पर अपनी पसंद का गाना या कोई भी वीडियो चुनें और उसका एम्बेड कोड अपने ब्लॉग पर लगा लें.

You-Tube या किसी भी वीडियो वाली वेबसाइट पर एक HTML कोड होता है जिसे आप अपनी साईट यानि ब्लॉग पर लगा सकते हैं और वह वीडियो आपके ब्लॉग पर दिखने लगेगा.
वह कोड You-Tube में 'एम्बेड करें' के नाम से है. वह वीडियो के नीचे की ओर बना हुआ है.

आप तो बस फोटो देखिये और सब समझ जाइए. (फोटो पर डबल क्लिक करके आप फोटो बड़ी करके देख सकते हैं.)



'एम्बेड करें' बटन को काले घेरे में दिखाया गया है.

एम्बेड करें बटन पर क्लिक करते ही कोड लोड होकर दिखने लगेगा आप इस कोड को अपने ब्लॉग के लेख में लगाएं या चाहें तो साइड-बार में भी लगा सकते हैं.



आप एम्बेड कोड को अपने ब्लॉग में लगाने के पहले एक और काम कर सकते हैं अपने वीडियो को सजा सकते हैं.
सजाने के लिए आप के पास कुछ विकल्प हैं जैसे-
१. बॉर्डर रहेगा या नहीं ?
२. बॉर्डर का रंग कौन सा रहेगा ?
३. सम्बंधित वीडियो दिखें या नहीं ?
४. वीडियो का आकार कितना बड़ा होगा ?

अब एक बिल्कुल ही प्यारा सा गाना सुनिए और बताइये कि कैसा लगा !



इन्टरनेट के हिन्दीकरण में अब यू-ट्यूब भी शामिल हो चुका है यानी कि अब आप यू-ट्यूब पर सब कुछ हिंदी में पायेंगे.

Wednesday 3 October 2012

वो काला एक बासुँरी वाला (भक्ति गीत)

Archana Singh 2paltak - 09:31
वो काला एक बासुँरी वाला
वो काला एक बासुँरी वाला, वो काला इक बासुँरी वाला
सुध बिसरा गया मोरि रे,
माखनचोर जो नंदकिशोर वो, कर गयों रे मन की चोरी रे

कर गयों रे मन की चोरी रे सुध बिसरा गया मोरि ....
कर गयों रे मन की चोरी रे सुध बिसरा गया मोरि ....
वो काला इक बासुँरी वाला, सुध बिसरा गया मोरि रे.
पनघट पे मोरि बइयाँ मरोडी ....
मैं बोली तो मेरी मटकी फोडी.
पइयाँ परु करु विनती मैं पर ..
माने इक वो मोरि
सुध बिसरा गया मोरि रे.... ,
वो काला इक बासुँरी वाला, वो काला इक बासुँरी वाला...
वो काला इक बासुँरी वाला, सुध बिसरा गया मोरि रे....
छुप गयो फिर इक तान सुना के ...
कहा गयो एक बाण चला के,
गोकुल ढूंढ़ा, मैनें मथुरा ढूंढ़ी ..
कोइ नगरियाँ ना छोडी रे, सुध बिसरा गया मोरि रे.... ,
सुध बिसरा गया मोरि रे.... , वो काला इक बासुँरी वाला,
वो काला इक बासुँरी वाला सुध बिसरा गया मोरि रे.... ,
वो काला इक बासुँरी वाला, सुध बिसरा गया मोरि रे.... ,
वो काला इक बासुँरी वाला ,
वो काला इक बासुँरी वाला... माख्ननचोर जो,
नंदकिशोर वो, कर गयों औरे मन की चोरी रे
सुध बिसरा गया मोरि ...

कौन है ललित मोदी

Archana Singh 2paltak - 06:46
ललित कुमार मोदी , (जन्म नवंबर 29, 1963) इंडियन प्रीमियर लीग के अध्यक्ष और कमीशनर, चैंपियंस लीग के अध्यक्ष, BCCI के उपाध्यक्ष और पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं. वह मोदी इंटरप्राइज़ेज़ के अध्यक्ष एवं प्रबंध निर्देशक और गॉडफ्रे फिलिप्स इंडिया के कार्यकारी निर्देशक भी हैं.


जीवनी

1963 में भारत में दिल्ली के एक मारवाड़ी परिवार में जन्में, ललित कुमार मोदी ने प्रतिष्ठित सेंट जोसेफ कालेज, नैनीताल में अध्ययन किया. उन्होंने संयुक्त राज्य के ड्यूक विश्वविद्यालय में शिक्षा ली और 1986 में मार्केटिंग में स्नातक की डिग्री पायी.ललित मोदी एक अमीर बाप कृष्ण कुमार मोदी के बेटे हैं. कृष्ण कुमार ४००० करोड़ रुपयों की कीमत वाली मोदी समूह के अध्यक्ष हैं.ललित मोदी के दादा राज बहादुर गुजरमल मोदी ने मोदीनगर की स्थापना की थी.

पुरस्कार मान्यताएं

* BCCI को वर्ष 2008 की भारत का सबसे अधिक उन्नतिशील कंपनी बनाने के लिए उन्हें "द बिज़नस स्टैण्डर्ड अवार्ड" से पुरस्कृत किया गया.
* 25 सितम्बर, 2008 को उन्हें एशिया ब्रांड कांफ्रेंस द्वारा "ब्रांड बिल्डर ऑफ़ द इयर" पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
* 26 सितम्बर, 2008 को उन्हें CNBC आवाज़ द्वारा "द कनज्यूमर अवार्ड फॉर ट्रान्सफौर्मिंग क्रिकेट इन इंडिया" पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
* 6 अक्टूबर, 2008 को उन्हें NDTV प्रोफिट द्वारा "द मोस्ट इनोवेटिव बिज़नस लीडर इन इंडिया" के रूप में सम्मानित किया गया.
* 24 अक्टूबर, 2008 को उन्हें फ्रोस्ट & सुलिवान ग्रोथ एक्सेलेंस अवार्ड्स फॉर "एक्सेलेन्स इन इनोवेशन" से सम्मानित किया गया.
* 8 नवंबर, 2008 को उन्हें "टीचर्स ऐचीवमेंट ऑफ़ द इयर अवार्ड" से सम्मानित किया गया.
* 12 नवंबर, 2008 को उन्हें "स्पोर्ट्स बिज़नस-रशमैन्स अवार्ड फॉर स्पोर्टस ईवेन्ट ईनोवेशन" पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
* 22 जनवरी, 2009 को उन्हें "CNBC बिज़नेस लीडर" पुरस्कार से सम्मानित किया गया.


इंडिया टूडे पत्रिका के अनुसार वे भारत के 20 सबसे शक्तिशाली लोगों में सूचीबद्ध हैं. उन्हें इसलिए सम्मिलित किया गया क्योंकि 2005 में बोर्ड में उनके शामिल होने के बाद से BCCI के राजस्व में सात गुना वृद्धि हुई तथा इसलिए भी क्योंकि "क्रिकेट में कोई भी उनके खिलाफ नहीं जाना चाहता". वह एक क्रिकेट प्रशासक के रूप में जाने जाते हैं! [१] 2008 अगस्त अंक की प्रमुख खेल पत्रिका स्पोर्ट्स प्रो द्वारा वैश्विक आंकड़ों के खेल से जुड़े पावर लिस्ट में उनकी गणना 17 नंबर पर की गई. उन्हें बेस्ट रेन मेकर (पैसा निर्माता) के रूप में किसी भी खेल के क्षेत्र में विश्व भर के खेल के इतिहास में स्थान मिला. इतने कम समय में वह एक ऐसे खेल प्रशासक बने जिन्होंने अपने संगठन के लिए चार अरब अमरीकी डॉलर जुटाया है. इतना सब कुछ उन्होंने अवैतनिक क्षमता में रहते हुए किया . माइक एटथरटन ने द टेलीग्राफ में अपने लेख में उन्हें क्रिकेट के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति के रूप में वर्णित किया है. टाइम मैगजिन्स जुलाई 2008, ने उन्हें 2008 के लिए दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खेल कार्यकारी अधिकारियों की सूची में 16 नंबर पर रखा है. अक्टूबर 2008 अंक के अंतरराष्ट्रीय व्यापार पत्रिका बिज़नस वीक में ललित मोदी को पूरे विश्व में 25 सबसे शक्तिशाली खेल वैश्विक आंकड़ों की सूची में 19 नंबर पर स्थान मिला. ललित मोदी ने मोस्ट इनोवेटिव बिज़नस लीडर ऑफ़ इंडिया (भारत के सबसे नवप्रवर्तनशील व्यापारिक नेता) का NDTV पुरस्कार भी प्राप्त किया.

भारत की अग्रणी बिज़नस पत्रिका बिज़नस टूडे के नवंबर अंक ने अपने कवर पर मोदी को रखा और उसे भारत के सर्वश्रेष्ठ विपणक का नाम दिया. 31 दिसंबर की वार्षिक स्पोर्ट्ज़पावर (SportzPower) सूची 2008 में वह 1 नंबर पर रहे और DNA अखबार ने भारत में 50 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में उन्हें 17 वें स्थान पर क्रमित किया. भारत से स्थानांतरित करने के लिए सिर्फ तीन सप्ताह की सूचना में उन्होंने बहुत सफलतापूर्वक दक्षिण अफ्रीका में 2009 में IPL-2 को आयोजित किया.

खतरा और सुरक्षा

मार्च 2009 के अंत में मुंबई पुलिस ने अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा शकील के गोली चलाने वाले आदमी रशीद मालाबारी को गिरफ्तार किया और उससे पूछताछ के दौरान उसने उजागर किया कि क्रिकेट के प्रमुख ललित मोदी, उनकी पत्नी मीनल और बेटे रूचिर की हत्या करने की योजना थी. इसी संदर्भ में सरकार की एक खुफिया एजेंसी ने छोटा शकील और उसके मालिक दाऊद इब्राहिम के बीच फोन पर हो रही बातचीत को सुना कि 4 हत्यारों को किराये पर लेकर मोदी और उनके परिवार की हत्या दक्षिण अफ्रीका या भारत में कर दी जाये. खुफिया ब्यूरो के इलेक्ट्रॉनिक निगरानी रिकॉर्ड से यह भी पता चला कि छोटा शकील ने अपने निशानेबाजों से कहा कि मोदी को मुंबई या दक्षिण अफ्रीका में खत्म कर दो. "उसको खत्म कर दो इंडिया या साउथ अफ्रीका में " यही आदेश है. इस धमकी का कारण यह है कि मोदी ने IPL 2 में पाकिस्तानी क्रिकेट खिलाड़ियों के खेलने पर प्रतिबंध लगाया था. ललित मोदी को सशस्त्र पुलिस सुरक्षा प्रदान की गयी है जो उनके घर की पहरेदारी करती है भले ही वह घर पर हों या न हों, उन्हें एक गैर श्रेणी पुलिस सुरक्षा कवर भी दी गई है जो उनके साथ घर के दरवाजे से बाहर भी सुरक्षा प्रदान करती है जिनमें एकाधिक सशस्त्र पुलिस वाले शामिल हैं जो उन्हें 24 घंटे उनके घर और बाहर जाते ही, उनके कार को पहरा देते हैं. लेकिन उनकी पत्नी मिनल और बेटा रुचिर जब बाहर निकलते हैं तो केवल 1 सशस्त्र पुलिस वाला ही उनके साथ होता है. मोदी का अपना निजी सुरक्षा बल 24 घंटे उनके घर की रखवाली करता है और मोदी के निजी अंगरक्षक हर समय उनकी, उनकी पत्नी और बेटे की रखवाली करते हैं. यह भी कहते सुना गया है कि IPL की सुरक्षा एजेंसी ने मोदी के आसपास की सुरक्षा को और भी मजबूत बना दिया है.

संघर्ष

2005 में, मोदी ने शरद पवार को एक प्रभावशाली नेता व राष्ट्रीय कैबिनेट मंत्री बताया, परिणामस्वरूप पूर्व भारतीय क्रिकेट सुप्रीमो और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद के अध्यक्ष जगमोहन डालमिया को बोर्ड ऑफ़ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया के चुनाव में अपने पद से हारना पड़ा .

जीवन परिवार

IPL खेलों के दौरान मोदी को कई बार अपने बेटे रूचिर के साथ देखा जाता है, लेकिन उनकी पत्नी मीनल और बेटी आलिया शायद ही उनके साथ इस खेल में देखी जातीं हैं . उनके बच्चे रूचिर (14) और आलिया (16) वर्तमान में अमेरिकन स्कूल ऑफ़ बॉम्बे में अध्ययन कर रहे हैं. वह मुंबई, जुहू बीच के उपनगर में अपने घर में अपनी पत्नी और बच्चों के साथ एक बहुत ही भव्य जीवन गुजार रहें हैं. मुंबई के वर्ली जैसे व्यापारिक क्षेत्र में भी उनका एक फ्लैट है.

अन्य सौदे

जब से मोदी BCCI में शामिल हुए उन्होंने बहुत सफलतापूर्वक BCCI के लिए निम्नलिखित सौदों को संपन्न किया:

* 4 साल के लिए सहारा ग्रुप के साथ टीम भारत के लिए टीम स्पोंसरशिप डील - 103 मिलियन डॉलर (415 करोड़) 20.12.05 को
* 4 साल के लिए नाइक के साथ टीम भारत के लिए टीम परिधान के प्रायोजन का सौदा - 53 करोड़ डॉलर (215 करोड़) 24.12.05 को
* 4 साल के लिए निम्बस के साथ मीडिया अधिकार सौदा - 612 मिलियन डॉलर 18.2.06 को
* 4 साल के लिए ज़ी के साथ विदेशों में मैच के लिए मीडिया अधिकार - 219 मिलियन डॉलर 7.4.06 को
* WSG के साथ BCCI के प्रायोजन का सौदा - 46 मिलियन डॉलर (173 करोड़) 27.8.07 को
* सोनी के साथ IPL मीडिया अधिकार सौदा - 1.26 अरब डॉलर 15.1.08 को
* विभिन्न दलों के साथ IPL टीम्स सेल - 723.6 मिलियन डॉलर 25.01.08 को
* वेब मीडिया अधिकार , वर्तमान मीडिया के सीधे प्रसार के लिए - 50 मिलियन डॉलर 18.4.08 को
* IPL टाइटल प्रायोजन और ग्राउंड प्रायोजकों को - 220 मिलियन डॉलर - मार्च, अप्रैल 2008
* IPL मीडिया अधिकार के लिये सोनी WSG के साथ फिर से समझौता - 1.26 अरब डॉलर से 2 अरब डॉलर 25.3.2009 को
(कुछ सूचनाएं विकिपीडीया से ली गयी हैं.)

विश्व का सबसे धनी क्रिकेट बोर्ड.

Archana Singh 2paltak - 06:14
एक आर्थिक पत्रिका 'मिन्ट' के साथ हुए साक्षात्कार में इन्डियन क्रिकेट बोर्ड के उपाध्यक्ष ललित मोदी ने आई.पी.एल. के प्रसारण अधिकार और बी.सी.सी.आई. के आय बढाने के उपायों के विषय में बातचीत की.

मोदी ने कहा :

साधारण एकदिनी मैचों में हम सामान्यतया साधे आठ मिलियन धन बना लेते हैं और हमारा एक डालर चालीस रुपये नहीं बल्कि पैंतालीस रूपये के बराबर होता है. हमारे कॉन्ट्रैक्ट्स उस दिन के एक्स्चेंज रेट के आधार पर ही निर्धारित होते हैं.

सहारा, नाइके जैसे प्रायोजक हैं जो कि हर मैच का एक मिलियन के लगभग देते हैं. मैदान से होने वाली आय 1.6 मिलयन डालर से 1.7 मिलियन डालर प्रतिदिन के लगभग होता है.


यह एक बड़ा सच है कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड के पास धन की एक बहुत बड़ी ताकत है. यह सब भारतीयों के द्वारा क्रिकेट को एक धर्म मान लेने के कारण ही संभव हुआ है.
(यह एक पुरानी खबर है जब ललित मोदी इन्डियन क्रिकेट बोर्ड के उपाध्यक्ष थे.)

सावन की रुत हैं आ जा माँ

Archana Singh 2paltak - 00:30
सावन की रुत हैं जा माँ
सावन की रुत हैं जा माँ, हम झूला तुझे झूलायगें
फूलों से सजायेंगे तूझको, मेंहदी हाथों में लगायेंगे....
सावन की रुत हैं जा माँ……





कोई भेंट करेगा चुनरी, कोई पहनायेगा चूडी,
माथे पे लगायेगा माँ, कोई भक्त तिलक सिंदूरी,
कोई लिये खडा है पायल, लाया है कोई कंगना,
जिन राहों से आयेंगी माँ तू भक्तों के अंगना,
हम पलके वहाँ बिछायेंगे ...
सावन की रुत हैं जा माँ……
माँ अंबुवा की डाली पे झूला भक्तों ने सजाया,
चंदन की बिछाई चौकी, श्रद्धा से तूझे बुलाया,
अब छोड ये आखँ मिचौली, जा मैया भोली,
हम तरस रहे है कब से सुनने को तेरी बोली,
कब तेरा दर्शन पायेंगे ....
सावन की रुत हैं जा माँ……
लाखों है रुप माँ तेरे चाहे जिस रुप में जा,
नैनों की प्यास बुझा जा बस एक झलक दिखला जा,
झूले पे तुझे बिठा के तूझे दिल का हाल सुनाके,
फिर मेवे और मिश्री का तुझे प्रेम से भोग लगाके
तेरे भवन पे छोड के आयेगे ......
सावन की रुत हैं जा
सावन की रुत हैं जा माँ, हम झूला तूझे झूलायगें हैं
फूलों से सजायेंगे तुझको, मेंहदी हाथों में लगायेंगे....
सावन की रुत हैं जा

Monday 1 October 2012

चापलूस मंडली

Archana Singh 2paltak - 19:00
जंगल में एक शेर रहता था। उसके चार सेवक थे चील, भेडिया, लोमडी और चीता। चील दूर-दूर तक उडकर समाचार लाती। चीता राजा का अंगरक्षक था। सदा उसके पीछे चलता। लोमडी शेर की सैक्रेटरी थी। भेडिया गॄहमंत्री था। उनका असली काम तो शेर की चापलूसी करना था। इस काम में चारों माहिर थे। इसलिए जंगल के दूसरे जानवर उन्हें चापलूस मंडली कहकर पुकारते थे। शेर शिकार करता। जितना खा सकता वह खाकर बाकी अपने सेवकों के लिए छोड जाया करता था। उससे मजे में चारों का पेट भर जाता।

एक दिन चील ने आकर चापलूस मंडली को सूचना दी  “भाईयो! सडक के किनारे एक ऊँट बैठा हैं।”

भेडिया चौंका  “ऊँट! किसी काफिले से बिछुड गया होगा।”

 चीते ने जीभ चटकाई  “हम शेर को उसका शिकार करने को राजी कर लें तो कई दिन दावत उडा सकते हैं।”

लोमडी ने घोषणा की  “यह मेरा काम रहा।”

लोमडी शेर राजा के पास गई और अपनी जुबान में मिठास घोलकर बोली  “महाराज, दूत ने खबर दी है कि एक ऊँट सडक किनारे बैठा हैं। मैंने सुना हैं कि मनुष्य के पाले जानवर का मांस का स्वाद ही कुछ और होता हैं। बिल्कुल राजा-महाराजाओं के काबिल। आप आज्ञा दें तो आपके शिकार का ऐलान कर दूं?”

शेर लोमडी की मीठी बातों में आ गया और चापलूस मंडली के साथ चील द्वारा बताई जगह जा पहुंचा। वहां एक कमजोर-सा ऊँट सडक किनारे निढाल बैठा था। उसकी आँखें पीली पड चुकी थीं। उसकी हालत देखकर शेर ने पूछा “क्यों भाई तुम्हारी यह हालात कैसे हुई?”

ऊँट कराहता हुआ बोला  “जंगल के राजा! आपको नहीं पता इंसान कितना निर्दयी होता हैं। मैं एक ऊँटो के काफिले में एक व्यापार का माल ढो रहा था। रास्ते में मैं बीमार पड गया। माल ढोने लायक नहीं उसने मुझे यहां मरने के लिए छोड दिया। आप ही मेरा शिकार कर मुझे मुक्ति दीजिए।”

ऊँट की कहानी सुनकर शेर को दुख हुआ। अचानक उसके दिल में राजाओं जैसी उदारता दिखाने की जोरदार इच्छा हुई। शेर ने कहा  “ऊँट, तुम्हें कोई जंगली जानवर नहीं मारेगा। मैं तुम्हें अभय देता हूं। तुम हमारे साथ चलोगे और उसके बाद हमारे साथ ही रहोगे।”

चापलूस मंडली के चेहरे लटक गए।

भेडिया फुसफुसाया “ठीक है। हम बाद में इसे मरवाने की कोई तरकीब निकाल लेंगे। फिलहाल शेर का आदेश मानने में ही भलाई हैं।”

 इस प्रकार ऊँट उनके साथ जंगल में आया। कुछ ही दिनों में हरी घास खाने व आरम करने से वह स्वस्थ हो गया। शेर राजा के प्रति वह ऊँट बहुत कॄतज्ञ हुआ। शेर को भी ऊँट का निस्वार्थ प्रेम और भोलापन भाने लगा। ऊँट के तगडा होने पर शेर की शाही सवारी ऊँट के ही आग्रह पर उसकी पीठ पर निकलने लगी लगी वह चारों को पीठ पर बिठाकर चलता।

एक दिन चापलूस मंडली के आग्रह पर शेर ने हाथी पर हमला कर दिया। दुर्भाग्य से हाथी पागल निकला। शेर को उसने सूंड से उठाकर पटक दिया। शेर उठकर बच निकलने में सफल तो हो गया, पर उसे चोंटें बहुत लगीं। शेर लाचार होकर बैठ गया। शिकार कौन करता? कई दिन न शेर  ने कुछ खाया और न सेवकों ने। कितने दिन भूखे रहा जा सकता हैं?

लोमडी बोली  “हद हो गई। हमारे पास एक मोटा ताजा ऊँट हैं और हम भूखे मर रहे हैं।”

चीते ने ठंडी साँस भरी  “क्या करें? शेर ने उसे अभयदान जो दे रखा हैं। देखो तो ऊँट की पीठ का कूबड कितना बडा हो गया हैं। चर्बी ही चर्बी भरी हैं इसमें।”

 भेडिए के मुंह से लार टपकने लगी  “ऊँट को मरवाने का यही मौका हैं दिमाग लडाकर कोई तरकीब सोचो।”

लोमडी ने धूर्त स्वर में सूचना दी  “तरकीब तो मैंने सोच रखी हैं। हमें एक नाटक करना पडेगा।”

सब लोमडी की तरकीब सुनने लगे। योजना के अनुसार चापलूस मंडली शेर के पास गई। सबसे पहले चील बोली  “महाराज, आपको भूखे पेट रहकर मरना मुझसे नहीं देखा जाता। आप मुझे खाकर भूख मिटाइए।”

 लोमडी ने उसे धक्का दिया  “चल हट! तेरा मांस तो महाराज के दांतों में फँसकर रह जाएगा। महाराज, आप मुझे खाइए।”

 भेडिया बीच में कूदा  “तेरे शरीर में बालों के सिवा हैं ही क्या? महाराज! मुझे अपना भोजन बनाएँगे।”

अब चीता बोला  “नहीं! भेडिए का मांस खाने लायक नहीं होता। मालिक, आप मुझे खाकर अपनी भूख शांत कीजिए।”

 चापलूस मंडली का नाटक अच्छा था। अब ऊँट को तो कहना ही पडा  “नहीं महाराज, आप मुझे मारकर खा जाइए। मेरा तो जीवन ही आपका दान दिया हुआ है। मेरे रहते आप भूखों मरें, यह नहीं होगा।”

चापलूस मंडली तो यहीं चाहती थी। सभी एक स्वर में बोले  “यही ठीक रहेगा, महाराज! अब तो ऊँट खुद ही कह रहा हैं।”

चीता बोला  “महाराज! आपको संकोच हो तो हम इसे मार दें?”

 चीता व भेडिया एक साथ ऊँट पर टूट पडे और ऊँट मारा गया।

 सीखः चापलूसों की दोस्ती हमेशा खतरनाक होती हैं।
Next Previous
Editor's Choice