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Thursday 11 March 2010

चिट्ठाकार समाज को 'जय श्री राम'

Archana Singh 2paltak - 08:12
लगभग डेढ़ वर्षों के उपरान्त ब्लॉग-जगत में पुनर्प्रवेश कर रहा हूँ.
यह प्रवेश भगवान् श्री राम जी की कृपा के फलस्वरूप है, अतः हमने आज से यह शपथ ली है कि हम आज से अभिवादन में यही कहा करेंगे. जब यह सुविचार हमारे ह्रदय में आया था तो तुरंत एक दूसरा विचार यह भी आया कि नहीं यह तो साम्प्रदायिकता है, यह कट्टरता को प्रदर्शित करेगा.
नहीं बन्धुओं हम संकीर्ण नहीं हुए हैं. पर वह भगवान् जो हमसे इस होली पर मिलने स्वयं आये थे. उनकी उपेक्षा कैसे करें !!
हाँ, यह सत्य है कि भगवान् राम होली पर मुझे मिलने आये थे. मैंने उनसे लड़ाई भी की, अपशब्द भी कहे और सबसे बड़ी बात कि उनको भगवान् न मानकर एक स्वप्न मानकर भूल जाने की मूर्खता भी करते रहे.
यही कारण था कि अब तक यह बात हम आपसब लोगों से छिपाए हुए थे. हम डर रहे थे कि सभी हमें पागल या झूठा समझेंगे.
शायद ऐसी टिप्पणी भी मिले कि अब ये भी आई.जी. डी.के. पांडा की तरह पागल हो जाएगा या साडी पहन कर नाचेगा.
नहीं दोस्तों ऐसा कुछ भी नहीं है. हम जो हैं वही रहेंगे, पर हमें घोर आश्चर्य है कि हमें राम ने दर्शन क्यों दिया ? वे पांच आर्य सत्य मुझे ही क्यों कहे ?
अरे कहना ही था तो चिपलूनकर से कहते अटल-आडवाणी से कहते, महंत नृत्यगोपालदास से कहते. न तो हमने अपने जीवन में राम के अस्तित्व पर प्रश्न उठाया और न ही हम कोई बहुत बड़े रामभक्त रहे हैं, फिर क्यों राम ने हमें ही चुना ?
शायद हमें इसका कभी कोई उत्तर नहीं मिलेगा, पर हमें जीवन जीने का लक्ष्य और मार्ग मिल गया है, कभी वह भी आप लोगों को बताऊंगा.
फिलहाल के लिए जय श्री राम.
आपका ई-गुरु राजीव.
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